दवा की शीशियों में जो ज़हर की बात करते हैं |
सियासत दां हमेशा बिन असर की बात करते हैं
ज़मीन-ओ- आसमां सूरज सितारे बेचने वाले
नदी नालों तलाबों की नहर की बात करते हैं |
सरे बाज़ार अस्मत लूटने वाले सदा हमसे
बहू की बेटियों की और घर की बात करते हैं |
सुबह खाते मलाई रात कटती होटलों में पर
हमारे सामने वो दोपहर की बात करते हैं |
धरम ईमान गिरवी रख दिया वो लोग ही अक्सर
इधर की बात बतलाओ उधर की बात करते हैं |
किसी दिन रूठकर हम भी चले आये पिता से पर
जड़ों से कट गये फिर भी शज़र की बात करते हैं |
उमर अपनी गुजारी है गज़ल के शेर कह कह पर
रदीफो काफिया गजलो बहर की बात करते हैं |
---आर० सी० शर्मा “आरसी”
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY