Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दवा की शीशियों में जो ज़हर की बात करते हैं

 

दवा की शीशियों में जो ज़हर की बात करते हैं |
सियासत दां हमेशा बिन असर की बात करते हैं

 

ज़मीन-ओ- आसमां सूरज सितारे बेचने वाले
नदी नालों तलाबों की नहर की बात करते हैं |

 

सरे बाज़ार अस्मत लूटने वाले सदा हमसे
बहू की बेटियों की और घर की बात करते हैं |

 

सुबह खाते मलाई रात कटती होटलों में पर
हमारे सामने वो दोपहर की बात करते हैं |

 

धरम ईमान गिरवी रख दिया वो लोग ही अक्सर
इधर की बात बतलाओ उधर की बात करते हैं |

 

किसी दिन रूठकर हम भी चले आये पिता से पर
जड़ों से कट गये फिर भी शज़र की बात करते हैं |

 

उमर अपनी गुजारी है गज़ल के शेर कह कह पर
रदीफो काफिया गजलो बहर की बात करते हैं |

 

 

 

---आर० सी० शर्मा “आरसी”

 

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