Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दिन में चाँद निकलते देखा

 

दिन में चाँद निकलते देखा
सूरज आँखें मलते देखा।

 

हाथ पकड़ कर जिन्हें चलाया
उनको ज़हर उगलते देखा ।

 

गिरगिट को पीछे छोड़ा है
पल पल रंग बदलते देखा ।

 

जीवन मीत बनाया जिसको
उस से आँख बदलते देखा।

 

मिलता जो दुनियां से हंस कर
घर में आग उगलते देखा।

 

बना जोगिया घर का जोगी
बाहर चरण मसलते देखा ।

 

जो बच्चों को ज्ञान बांटते
उनको आज मचलते देखा।

 

 

आर. सी. शर्मा "आरसी"

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