दिन में चाँद निकलते देखा
सूरज आँखें मलते देखा।
हाथ पकड़ कर जिन्हें चलाया
उनको ज़हर उगलते देखा ।
गिरगिट को पीछे छोड़ा है
पल पल रंग बदलते देखा ।
जीवन मीत बनाया जिसको
उस से आँख बदलते देखा।
मिलता जो दुनियां से हंस कर
घर में आग उगलते देखा।
बना जोगिया घर का जोगी
बाहर चरण मसलते देखा ।
जो बच्चों को ज्ञान बांटते
उनको आज मचलते देखा।
आर. सी. शर्मा "आरसी"
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