उत्तराखंड में तथा केदारनाथ में कुदरत की विनाशलीला उफ़ ...........त्राहिमाम....त्राहिमाम ...|
दुआ गर पुर कशिश होतीं असर भी कारगर होते ,
भरम ना तोड़ते साहिल ,न हम यूं दर बदर होते|
कुछ इक गुस्ताख लहरें हो के आवारा नहीं बढ़तीं ,
न फिर दरिया के मंसूबे भी इतने पुर खतर होते|
अगर हम भांप लेते ना-खुदा की बे वफाई को,
तो मौजें राह दिखलातीं किनारे हमसफ़र होते|
ज़मीं प गम के दरिया और अश्कों के समंदर हैं,
तू रो देता जो ऐसे हादिसे ज़न्नत में गर होते --आरसी
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