एक चिंगारी खोज रहा हूं राख हुए अवशेष में,
आओ फ़िर गांधी को ढूंढें गांधी जी के देश में।
सत्य अहिंसा अस्त्र वही, पर धूल खा रहे वादी में,
चोर -उचक्के नगर सेठ बन लकदक घूमें खादी में।
मत लेकर उन्मत्त हुए जो तुमको क्या पहचानेंगे,
राम राज्य का सपना है अब परिवर्तित बर्बादी में।
जीना तक दुश्वार हो गया अब तो इस परिवेश में,
आओ फ़िर गांधी को ढूंढें गांधी जी के देश में। --आरसी
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