Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

एक पाती दिल्ली के नाम

 

क्या संवेदना मौत से डर गई है
या इंसानियत अब तेरी मर गई है
सरे आम लुटता है ईमान तेरा
हुआ खुद-गरज आज इंसान तेरा
कतल चोरी डाके औ जेबों का कटना
सरे राह बहिनों की इज्ज़त का लुटना
ज़हर कौन इस सरज़मीं बो गया है
मेरे शहर तुझको ये क्या हो गया है

 


-आर० सी० शर्मा “आरसी”

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ