ग़म के तो हालात नहीं हैं,
पर खुशियों की बात नहीं हैं,
प्यार वही है पहले जैसा,
लेकिन वो जज़्बात नहीं हैं
रात रात भर रोई शबनम,
यह कोई बरसात नहीं है
कट जाती है जैसे तैसे,
पर दौलत इफरात नहीं है
दोस्त नहीं हैं पहले जैसे,
पर दुश्मन सी घात नहीं है
मुद्दों पर कुछ बात उठी है,
यह झगडा बे-बात नहीं है
तुम्हें "आरसी" टक्कर देना,
पत्थर की औकात नही है
-आर० सी०शर्मा “आरसी”
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY