जान दे दूं मगर खता क्या है
तू बता दे तेरी रजा क्या है |
रोज़ सजदा तुझे किया मैनें
जो करम ना करे खुदा क्या है |
बात सुनता नहीं कभी मेरी
ये बता दे कि फिर सुना क्या है |
बिन कहे क्या पता चले मुझको
दर्द दिल में छुपा हुआ क्या है |
खामुशी है यहाँ सरे महफ़िल
कोइ बोले मगर हुआ क्या है |
खोल दूं राज पर न पूछ मुझे
ये बता तू कि जानता क्या है |
कोइ सुनता नहीं किसी की तो
ये नवाजिश ये शुक्रिया क्या है |
दिल दुखाने की बात मत करना
रंजिशों में भला रखा क्या है |
आर० सी० शर्मा “आरसी”
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