Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जो सम्मानों के दावेदार निकले

 

 

जो सम्मानों के दावेदार निकले ,
वो दामन सारे दागी यार निकले |

 

मसीहा था जो कौमी एकता का ,
उसी के घर से कल हथियार निकले|

 

कसाई थे वो चारागर नहीं थे ,
सभी लाशों के ठेकेदार निकले|

 

नगर सेठों में जिनकी थी शुमारी,
अनैतिक उनके कारोबार निकले|

 

वो जिनकी कोठियां कोठे में बदलीं ,
वो नेताजी के रिश्तेदार निकले |

 

सरे महफ़िल सभी को आजमाया ,
फकत बस "आरसी"दमदार निकले|

 

 

--आर० सी० शर्मा "आरसी "

 

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