Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

कभी इस बात का चर्चा हुआ क्या

 

कभी इस बात का चर्चा हुआ क्या
मिला क्या और तुमने खो दिया क्या ।

 

ये दुश्मन इस कदर भरमा गया क्या
हमारी सरहदों तक आ गया क्या |

 

भरूं मैं आसमां बांहों में अपनी
मगर ये इस तरह बिखरा हुआ क्या |

 

सिवा नफरत परेशानी घुटन के
तुम्हारे साथ रहने से ,मिला क्या |

 

हज़ारों लोग मिलते हैं मिलेंगे
खबर देना कभी इंसां मिला क्या |

 

तुम्हारी बात का क्या है भरोसा
बता भी दो तुम्हारी है रजा क्या |

 

अभी तक चाहतें दिल में जवाँ हैं
मगर अब छोडिये भी ,फायदा क्या |

 

मनाने के लिए बैठे हुए हैं
बता दे अब तलक रूठा हुआ क्या |

 

तुम्हारा अक्स ही धुंधला रहा है
करेगा "आरसी" इसमें भला क्या |

 

 

 

--आर० सी० शर्मा “आरसी”

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ