Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कभी आंसू बहाता है कभी कभी ये गीत गाता है

 

कभी आंसू बहाता है कभी कभी ये गीत गाता है
ये नन्हा सा ह्रदय मेरा मुझे कितना सताता है |

 

सुनाई दे रहीं हैं आज इसकी धड्कनें मुझको
ये ऐसा ढीठ बालक है मुझे आँखें दिखाता है|

 

नई भरता उड़ानें रोज ऊंची आसमानों में
कभी मजबूरियों में पंख अपने फड़फडाता है|

 

जुआ सा खेल मेरे साथ हरदम खेलता रहता
कभी मैं हार जाता हूँ कभी वो हार जाता है |

 

यही है दिल यही तो हौसला अक्सर बढाता है
मगर मैं टूट जाता हूँ कि जब दिल टूट जाता है|

 

बड़ी से हो बड़ी मुश्किल कभी विचलित नहीं होता
किसी के आंसुओं में दिल हमारा डूब जाता है|

 

बहुत मुश्किल जहां में मन किसी का "आरसी" होना
कभी झूंठा नहीं वो अक्स सच्चा ही दिखाता है|

 

 

--आर० सी० शर्मा “आरसी

 

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