Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कामना गीत

 

 

ईश्वर सारे सुख देना उस बहिना की झोली में,
जिसने कि सिन्दूर दे दिया अबकी बरस होली में,

 

होली अपने साथ हमेशा रंग नए लाती है,
लेकिन कोई होली सारे रंग मिटा जाती है,
अब कैसे शामिल होगी वो सखियों कि टोली में,
जिसने कि सिन्दूर....

 

किसी किसी ने बस पत्नि का घूँघट ही खोला था,
और किसी गोदी का बच्चा पहली बार बोला था,
पापा को टाटा कह पाया तुतलाती बोली में,
जिसने कि सिन्दूर....

 

अभी-अभी तो जीवन का रस पहली बार चखा था,
यौवन की देहरी पर उसने पहला पाँव रखा था,
अभी अभी तो ने बंध कसे थे फगुनाई चोली में,
जिसने कि सिन्दूर....

 

पिछली सारी रात जगी थी सोना नहीं हुआ था,
फेरे ही डाले थे उसका गौना नहीं हुआ था,
लेकिन सारे स्वप्न झर गए सिर्फ एक गोली में,
जिसने कि सिन्दूर.....

 

मेरे साजन ने अपने सीने पर गोली खाई,
क्यों न गर्व करूँ दुश्मन को पीठ नहीं दिखलाई,
मेरे कंधे पर जाएगा लाया था डोली में,
जिसने कि सिन्दूर दे दिया अबकी बरस होली में |

 

 

-आर० सी० शर्मा "आरसी

 

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