Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मृग मरीचिका सा यह जीवन

 

 

मृग मरीचिका सा यह जीवन
सच क्या है पर क्या दिखलाए|
साँसें कम है चाह अधिक है,
यह तृष्णा दर दर भटकाए|
चेहरा चेहरा इश्तिहार है,
असली चेहरा नज़र न आए|
शब्द शब्द इक आडम्बर है ,
समय मुखौटों से बतियाए|

 


आर० सी० शर्मा आरसी

 

 

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