शायरी की पलटती हवा देख कर
शेर कहता नहीं फायदा देख कर |
चार पैसे मिले तो फुदकने लगा
नाचता आदमी बावरा देखकर |
पाँव रुकने नहीं चाहिए आपके
ज़िंदगी को मजा-बेमजा देखकर |
साल तो बढ़ गए उम्र कम हो चली
मैं भ्रमित हूँ तमाशा हुआ देखकर |
आसमां छू न पाया उड़ा तो सही
लोग हैरान हैं हौसला देखकर |
चार दिन ही यहाँ काटने हैं फकत
लोग बोले ज़नाज़ा मेरा देखकर |
साहिलों से मिलीं कश्तियाँ “आरसी”
आप सब की यकीनन दुआ देखकर |
--आर० सी- शर्मा “आरसी”
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