Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शायरी की पलटती हवा देख कर

 

शायरी की पलटती हवा देख कर
शेर कहता नहीं फायदा देख कर |

 

चार पैसे मिले तो फुदकने लगा
नाचता आदमी बावरा देखकर |

 

पाँव रुकने नहीं चाहिए आपके
ज़िंदगी को मजा-बेमजा देखकर |

 

साल तो बढ़ गए उम्र कम हो चली
मैं भ्रमित हूँ तमाशा हुआ देखकर |

 

आसमां छू न पाया उड़ा तो सही
लोग हैरान हैं हौसला देखकर |

 

चार दिन ही यहाँ काटने हैं फकत
लोग बोले ज़नाज़ा मेरा देखकर |

 

साहिलों से मिलीं कश्तियाँ “आरसी”
आप सब की यकीनन दुआ देखकर |

 

 

 

--आर० सी- शर्मा “आरसी”

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