कमरे का वह सूना कोना,
चलना फिरना खाना सोना|
रोज़ सुबह ठाकुर नहलाना,
बच्चों का तुझको टहलाना।
जिसको तू देती थी रोटी,
गैया आकर रोज़ रंभाती।
मां कुछ दिन तू और ना जाती
मैं ही नहीं बहू भी कहती
कहते सारे पोते नाती ........आरसी
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कमरे का वह सूना कोना,
चलना फिरना खाना सोना|
रोज़ सुबह ठाकुर नहलाना,
बच्चों का तुझको टहलाना।
जिसको तू देती थी रोटी,
गैया आकर रोज़ रंभाती।
मां कुछ दिन तू और ना जाती
मैं ही नहीं बहू भी कहती
कहते सारे पोते नाती ........आरसी
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