बहर : 212 212 212 212
काफ़िया - आने
रदीफ - लगे
तीर कब आपके सब निशाने लगे
व्यर्थ में घाव अपने दिखाने लगे |
झांकिए खुद गिरेबान अपना ज़रा
उंगलियाँ दूसरों पर उठाने लगे |
हर किसी बात पर मत सियासत करो
देश को आप भी बरगलाने लगे |
बात ना हो सके बात ऐसी नहीं
शोर बे बात अब क्यूं मचाने लगे |
दीजिये दीजिये ध्यान अब देश पर
लोग तो आँख अब छलछलाने लगे |
काम की आप अपने नुमाइश करो
आप तो सिर्फ पैसा बनाने लगे |
नाज़ हमने किया “आरसी” आप भी
दिल दुखाने लगे मुंह छिपाने लगे |
--आर० सी० शर्मा “आरसी”
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