सुबह का भूला घर आ जाए शाम ढले तो कविता है,
मेहनतकश हाथों को फिर से काम मिले तो कविता है|
मदिरालय को जाने वाला मुड जाए देवालय को,
गंगाजल के साथ उसे हरि नाम मिले तो कविताहै|
आँख का खारा पानी मीठे बैन सुने तो कविता है,
किसी दर्द को किसी शब्द से चैन मिले तो कविता है|
शब्द अगर मरहम बन जाएँ रिसती हुई बिवाई पर,
तेरे आंसू मेरी आँख से अगर ढले तो कविता है|
मन के मुरझाए आँगन में सुमन खिलें तो कविता है,
पिंजरे में बैठे पंछी को गगन मिले तो कविता है |
परदेसों की चकाचौंध में अब तक जितने भटके हैं,
उन लोंगों को फिर से अपना वतन मिले तो कविता है|
-आर० सी० शर्मा “आरसी”
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY