वीर भगत सिंह तुम्हें कोसता शेखर देता है गाली ,
किसके हाथों सौंपी हमनें भारत माँ की रखवाली|
बढ़ने से पाहिले ही यदि रोका होता महामारी को ,
फिर ना आज भुगतना पड़ता लाइलाज बीमारी को |
अगर आत्मा नहीं रही तो ,रोते रहो शरीर को ,
किस हद तक बदरंग करोगे इस सुन्दर तस्वीर को?--आरसी
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