Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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व्यंग्य

 

 

  • पुलकित पुलकित सी वसुंधरा श्रंगारित है अनुपम अनंत ,
    रवि शशि,दिन रजनी नीलांबर वन उपवन महकें दिग दिगंत|
    आशा अभिलाषा पूरित हो संग बाधाओं का सुखद अंत ,
    जीवन में जितने पल आयें हर पल स्वमेव हो इक वसंत |

     

  • होली में बोली प्यार की ही बोलते हैं रंग ,
    हम मन के तराजू में पहले तोलते हैं रंग|
    गीतों का है अबीर तो गजलों का है गुलाल,
    शब्दों की चाशनी में अपने घोलते हैं रंग|

     

  • लगी बरसात की झड़ियां चली पुरवाई मनभावन
    बरस जातीं हैं अँखियाँ पर नहीं आये निठुर साजन |
    तरसते देहरी अंगना ये झूले बाट तकते हैं ,
    तुम्हें आवाज देता है हमारी आँख का सावन |

     

  • व्याप्त है कण कण में तू ही प्राण है तू श्वास है
    इस जगत का तू ही स्वामी तुझसे ही अरदास है|
    सबका मालिक एक तू यह जानता सारा जहां ,
    तू विधाता सबका दाता सारी दुनियां दास है|

     

  • पुलकित पुलकित सी वसुंधरा श्रंगारित है अनुपम अनंत ,
    रवि शशि,दिन रजनी नीलांबर वन उपवन महकें दिग दिगंत|
    आशा अभिलाषा पूरित हो संग बाधाओं का सुखद अंत ,
    जीवन में जितने पल आयें हर पल स्वमेव हो इक वसंत |

     

    • ज्ञान कौ प्रकास देत हर लेतीं अविवेक तो सामान कौन मैया जग उपकारी है,
      श्वेत वस्त्र धारी करे हंस की सवारी मातु वीणा कर धारी मैया शारदा हमारी है |
      देओ वरदान करें तेरौ गुणगान मैया देऊ ध्यान इतनी सी अरजी हमारी है
      किरपा तेरी नायं होती कैसे बरे ज्ञानज्योति 'आरसी'ने चरणों में वन्दना जुहारी है|

       

    • रातरानी, नागचम्पा, गुलमोहर, कचनार हो,
      तुम रजत के कंठ में ज्यों स्वर्णमुक्ता हार हो|
      रजनीगन्धा की महक तुम ही गुलाबों की हँसी,
      केतकी, जूही, चमेली, कुमुदिनी, गुलनार हो |

       

    • प्रेम प्रतीक्षा है प्रेम परीक्षा है ,प्रेम का पाठ पढ़ा गयी शबरी ,
      तन वृद्ध था आस ना वृद्ध हुई,और राम को आखिर पा गयी शबरी|
      यदि भक्ति करो ,कुछ धैर्य धरो श्रद्धा की मशाल जला गयी शबरी ,
      जिन्हें सच्चे ह्रदय से था चाहा सदा,उन्हें झूठे ही बेर खिला गयी शबरी |

       

    • गर यह धरा है गोल ,इसका व्यास है कविता ,
      परिधि पे भी है , केंद्र के भी पास है कविता |
      दो बिन्दुओं को , दो दिलों सा ,जोडती है ये,
      सच पूछिए एक ज्यामिति अभ्यास है कविता |

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