ज़िन्दगी चंद सांसों की माला भी है
ज़िन्दगी मौत का इक निवालाभी है।
ज़िंदगी को किसी ने गुरु कह दिया
ज़िन्दगी तो स्वयं पाठशाला भी है ।
आस है ज़िंदगी प्यास है ज़िंदगी
जितनी बढ़ती है इसको बढ़ा लीजिये
मन से है ज़िन्दगी तन से है ज़िन्दगी
ज़िन्दगी एक धन है बचा लीजिये ।
------आर.सी.शर्मा "आरसी"
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