Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ऐ पथिक तू पथ का राही

 

ऐ पथिक तू पथ का राही,

चले रह मंजिल की ओर,

पथ में कांटे खूब मिलेंगे,

मिनेंगे तुझको द्वेष हजार ,

लोग हसेंगे निर्बल होते,

पर तू कभी न माने हार,

ऐ पथिक तू …………………………………………………

 

तेरे पास है सूर्य की गर्मी,

है तुझमे अग्नी ज्वाला,

जमी आसमा तेरे संग है,

बढ़ करके अंगे चलना,

ऐ पथिक तू …………………………………………………

 

इसी जगत में राम हुए थे,

हुए बिवेकानन्द गांधी,

तो तुझमे क्या है अंतर,

पायेगा तू भी मंजिल,

ऐ पथिक तू …………………………………………………

 

कष्ट भरी पथ को ही चुनना,

बिना कष्ट मंजिल बेकार,

सुख का कोई मोल नही,

जब होए न अपनी हार,

ऐ पथिक तू …………………………………………………

 


तनिक भी गर्व न करना तुझमे ,

गर्व ही नाश का कारण हो,

ऐसी करनी करके तू जा,

अपना नाम अमर कर जा,

ऐ पथिक तू …………………………………………………

 

धन दौलत तो है हम सबमे,

पर नाम बिना सब कुछ बेकार,

तू ही कर जा ऐसी करनी,

जग में तेरा नाम सुनाय,

ऐ पथिक तू …………………………………………………




 

 

R. S. Bais

 

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