ऐ पथिक तू पथ का राही,
चले रह मंजिल की ओर,
पथ में कांटे खूब मिलेंगे,
मिनेंगे तुझको द्वेष हजार ,
लोग हसेंगे निर्बल होते,
पर तू कभी न माने हार,
ऐ पथिक तू …………………………………………………
तेरे पास है सूर्य की गर्मी,
है तुझमे अग्नी ज्वाला,
जमी आसमा तेरे संग है,
बढ़ करके अंगे चलना,
ऐ पथिक तू …………………………………………………
इसी जगत में राम हुए थे,
हुए बिवेकानन्द गांधी,
तो तुझमे क्या है अंतर,
पायेगा तू भी मंजिल,
ऐ पथिक तू …………………………………………………
कष्ट भरी पथ को ही चुनना,
बिना कष्ट मंजिल बेकार,
सुख का कोई मोल नही,
जब होए न अपनी हार,
ऐ पथिक तू …………………………………………………
तनिक भी गर्व न करना तुझमे ,
गर्व ही नाश का कारण हो,
ऐसी करनी करके तू जा,
अपना नाम अमर कर जा,
ऐ पथिक तू …………………………………………………
धन दौलत तो है हम सबमे,
पर नाम बिना सब कुछ बेकार,
तू ही कर जा ऐसी करनी,
जग में तेरा नाम सुनाय,
ऐ पथिक तू …………………………………………………
R. S. Bais
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