हम बचायें ज़िन्दगी को
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रख ज़रा सी सावधानी,
बच ज़रा से पाप से ।
हम बचायें ज़िन्दगी को
एड्स के अभिशाप से ।।
हो ज़रूरत दूसरे का
जब भी लेना रक्त हो ।
एच आई वी वायरस से
सर्वथा वह मुक्त हो ।
ख़ुद बचें जग को बचायें
इस महा संताप से ।।
हम बचायें ज़िन्दगी को
एड्स के अभिशाप से ।।
एड्स के रोगी से बिल्कुल
भी न यौनाचार हो ।
एक साथी हो सदा
कण्डोम का व्यवहार हो ।
एड्स पीड़ित शिशु न जन्मे
एड्स ग्रस्त मिलाप से ।।
हम बचायें ज़िन्दगी को
एड्स के अभिशाप से ।।
एक पिचकारी - सुई का
एक ही उपयोग हो ।
एड्स पीड़ित से मधुर
व्यवहार हो, सहयोग हो ।
सत्य जानें भ्रम न पालें
सुन के हम चुपचाप से ।।
हम बचायें ज़िन्दगी को
एड्स के अभिशाप से ।।
© - डाॅ. राम वल्लभ आचार्
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