Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कौन सी उपमा तुम्हें दूँ

 

कौन सी उपमा तुम्हें दूँ
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प्राणधन उपमेय हो तुम या कि तुम उपमान हो ।
कौन सी उपमा तुम्हें दूँ रूप की तुम खान हो ।।

कौमुदी तुम पूर्णिमा की या उषा हो भोर की,
मन गगन की हो सुधाकर या कि तुम दिनमान हो ।

रूप की मंदाकिनी हो या कि निर्झर नेह का,
या कि तुम अनुराग सरवर का विमल स्नान हो ।

तुम मृदुल कलिका कमल की या तुहिन की बूँद हो,
या कि मलयज की सुशीतल पवन का प्रतिभान हो ।

तुम नयन का स्वप्न हो या मन की मृगतृष्णा हो तुम,
हो अजानी सी तृषा या तृप्ति का वरदान हो ।

धमनियों का रक्त हो या श्वास और प्रश्वास हो,
हो तुम्हीं धड़कन हृदय की प्राण की तुम प्राण हो ।

© - डाॅ. राम वल्लभ आचार्य
 

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