*राम कहो मन राम कहो*
राम कहो मन राम कहो मन
राम कहो मन राम कहो ।
निर्मल पावन नाम राम का
राम ही आठों याम कहो ।।
जल में, थल में, अनल अनिल में
नील गगन में राम हैं ।
सचराचर जग के कण कण में
जड़ चेतन में राम हैं ।
राम नाम की पतित पावनी
सरिता में अविराम बहो ।।
निर्मल पावन नाम राम का
राम ही आठों याम कहॊ ।।
राम अनादि अनंत अगोचर,
अविकारी अवतार हैं ।
सकल सृष्टि के संचालन का
राम स्वयं आधार हैं ।
भव बंधन से मुक्ति मिलेगी
राम कहो निष्काम रहो ।।
निर्मल पावन नाम राम का
राम ही आठों याम कहो ।।
प्रेम दया करुणा ममता के
निश्छल सागर राम हैं ।
भक्तों के वत्सल, शरणागत
- रक्षक लीलाधाम हैं ।
कृपा सिंधु के पावन चरणों
की रज में विश्राम गहो ।।
निर्मल पावन नाम राम का
राम ही आठों याम कहो ।।
©रचनाकार - डाॅ. राम वल्लभ आचार्य
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