Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आंखों के कोरों मे

 

दिन का ठिठुरना
रात का पिघलना
आंखों के कोरों मे

हँसी का दर्द
शब्दों की गर्द
आखों के कोरों मे

मेरा सिमटना
तुम्हारा विस्तृत होना
आँखों के कोरों मे

चाहत की दहक
स्पर्श की महक
आंखों के कोरों मे

जीवन की गूंज
आँसू की बूँद
आंखों के कोरों मे

 

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