Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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mahngai ki kuchh chhoti kavitayen

 
विरोधी नेता माल दबा दाम बढाते हैं इसी की सीधी चढ़ सत्ता में आते हैं गद्दी पे बैठ बहुत मंहगे हो जाते हैं महंगाई से दीखते है चहुँ ओर पर आम जनता की पहुँच से दूर हो जाते हैं ----------------------------------------- 
महंगाई सब को सरे आम लूटती है पर रपट इसकी किसी थाने में नही लिखी जाती है इसी लिए शायद ये बेखौफ बढती जाती है ======================== 
एक गरीब माँ बच्चों को फल के नाम बता रही थी खरीद सकती नही इसी लिए दूर से दिखारही थी ==================== 
महंगाई स्वयं महंगी हुई पर रिश्ते सस्ते हो गए गिरा दाम इमान का जज्बात नीलाम हो गए सस्ती बिकने लगी हैं बातें जान इन्सान की सस्ती होगी कम हुई कीमत किसानों की बचा आत्महत्या की केवल रास्ता है इस मंहगाई के दौर में लोगों ये ही तो है जो सस्ता है 
 


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