ओ सूरज देवता
बैठ गए हो आकर फिर तुम
उदयाचल के माथे पर
उठने को कहते हो मुझसे
उठूंगा
मगर एक शर्त पर
क्या?
सारा दिन साथ दोगे मेरा
भट्कूंगा जब जीवन की तेड़ी मेड़ी राहों पर
कान पकड़ कर अपनी किरणों से
सच्ची राह दिखाओगे
और शाम को
हाथ पकड़ कर ले आओगे मुझे
अपने घर
वादा रहा बेटे, वादा रहा
उठ, जाग अब
त्याग तमस की चादर को
रुक न पाऊँगा ज्यादा
जगाना है मुझे सारे जगत को
Radhakrishna Arora
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY