राह कठिन सा भर आने दो,
दुश्मन से अब भिड़ जाने दो ।
रहें सुरक्षित भारत माता,
एक गुलाब मुझे भी दे दो ॥
दूर देश में बैठ प्रेयसी,
आती यादें कैसी कैसी ।
जाने उससे कब मिल पाऊं,
शत्रु चाल में खो ना जाऊं ।
संबल मुझमें तुम आने दो,
एक गुलाब मुझे भी दे दो ॥
राह कठिन सा....
लिए तिरंगा, कंधे पर गन,
डटा शिखर पर, शून्य हुआ तन ।
नहीं कदम ये पीछे होंगे,
शत्रु सभी अब वापस होंगे ।
सरहद चिंता तुम जाने दो,
एक गुलाब मुझे भी दे दो ॥
राह कठिन सा....
दुश्मन से था दो चार रहा,
सहसा गोली सीने पार रहा ।
बिटिया सुनकर अब चीख रही,
मां ढांढस खुद ही बांध रही ।
हाल प्रेयसी तुम जाने दो,
एक गुलाब मुझे भी दे दो ॥
राह कठिन सा भर आने दो,
दुश्मन से अब भिड़ जाने दो ।
रहें सुरक्षित भारत माता,
एक गुलाब मुझे भी दे दो ॥
- - रघु आर्यन ---
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