Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मतवाले मत वाले

 

जो मत वाले है वे मतवाले हैं
जिनकी अकल पे पड़े ताले हैं
तभी तो जो राजा बनता है
रानी का होता चमचा है
हम बुद्धिजीवी भी कुछ खास नहीं
लगती हरी कोई घास नहीं
जब भी कोई राजा बनता है
उसमें है खोट हमें लगता है
सब राम भरोसे,सब काम परोसे
सतकाम में न कोई फ़ंसता है
कोई करना भी ‘गर चाहे कभी
तो सारा जहाँ उसपे हँसता है
क्या होगा उस देश का यारो
जिस देश का लाल उसे खुद ठगता है
सूँघ के सोने-चाँदी के टुकड़े
इस देश, उस देश भटकता है
आदर्श के नाम पे कोई है ही नहीं
सिर्फ़ आदर्श घोटाला दिखता है
हैं भारत पे हम भार सभी
नित स्वार्थ में रत हर एक बंदा है

 

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