न ग़म है न ख़ुशी न कोई बात ख़ास है
फिर भी न जाने क्यों मेरा सबकुछ उदास है
न खत मिला किसी का न आयी कोई खबर
न है कोई पैगाम मेरे यार के लैब पर
न इंतजार है कहीं न कोई आस है
फिर भी न जाने क्यों.......
मुद्दत हुई है यूँ ही अकेले पड़े हुए
देखा जहाँ को दूर से हमने खड़े हुए
यह आज ही नहीं कि नहीं कोई पास है
फिर भी न जाने क्यों...........
दामन में मेरे दिल के ये टुकड़े हैं पुराने
आती रहीं हैं याद भी आंखों को रुलाने
आंसू भी नहीं अब न रही कुछ तलाश है
फिर भी न जाने क्यों............
Raj Hans Gupta
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