Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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किस तरह

 

 

तुम चल दिए दिल तोड़कर

हम फिर अकेले रह गए

बदनसीबी पर मेरी आंसू अवशसे बह गए

 


जो बात थी बस तुम से कहने के लिए दिल में बसी

अनकही उस बात को दफ्न करने की बेबसी

हम बताएं किस तरह हम किस तरह से सह गए

 


खामोश आँखों से तुम्हें तकते हुए दिल ने मेरे

तन्हाइयों में ज़िन्दगी की रंग थे कितने भरे

आज पल भर में वो ख्वाबों के महल सब ढह गए

 


मेरे दिल में पूरी बस तेरी अधूरीसी वो बात

याद आएगी हमें वो शाम वो सुबह वो रात

तुम क्या जानो हमसे तुम अनजान क्या-क्या कह गए

 

 

 

Raj Hans Gupta

 

 

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