गिरगिटी वक्त है क्या कहिये
उनकी उल्फत का रंग कैसा है?
मैं उनसे कुछ भी कह नहीं पाता
ये मेरा अंतरंग कैसा है?
जीने देंगे नाही मरने देंगे
यहाँ अंदाज़े-जंग कैसा है?
लड़खड़ाती-सी चल रही दुनिया
जाने सृष्टा अपंग कैसा है?
हम तो ताउम्र सोचते ही रहे
अस्ल जीने का ढंग कैसा है!
Raj Hans Gupta
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