Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हमारा दिल नही है या, हमें कुछ गम नही होता

 

हमारा दिल नही है या, हमें कुछ गम नही होता।
जुबानें खोलकर बोलो, सडा आज़म नही होता।

 

सभी ब़िखरे हैं दुनिया में, चले हैं ढूँढने ईन्साँ;
अगर ईन्साँ यहाँ होते, यही आलम नही होता।

 

इधर है आम सीने का, पस़ीना तरबतर गोया;
जह़र बोते कब़िलों का, जह़र कुछ कम नही होता ।

 

कहाँ आज़ाद है कोई, मकानों में लगे ताले;
दुकानों में कभी कोई, कहीं हमद़म नही होता।

 

अरे ओ अश्कोंके सागर में, अक्सर डूबने वालों;
बहारोंको मनाने का, कोई मौसम नही होता।

 

 

- राज.

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