लबोंपे अपने हिजाब रखियो
नजर खुली बेहिसाब रखियो
ग़रीब घर में हुवा है पैदा...
तो नाम उसका वहाब रखियो
लुटे जो अस्मत उठे जनाजा
लिहाज कुछ तो सहाब रखियो
सजा बदीकी, यहाँ न मिलती,
खुदा बचाके, अज़ाब रखियो!
लगे हक़ीक़ी सवाल कोई
रटारटाया जवाब रखियो
- राज पठाण.
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