Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आला रे आला .. 2011 आला ..

 

आला रे आला .. 2011 आला ..


बोला 2010… बहुत थक गया, अब चलता हूँ…

देश है चमका, नाम हुआ, पर बेहोशी की सी हालत है,
घायल हूँ घोटालों से, पड़ गयी इनकी आदत है
दर्द से पीडित, लहू लुहान, महँगाई से मार खाया हूँ
गिरते पड़ते किसी तरह, दिसम्बर तक मैं आया हूँ…

बोला 2010… बहुत थक गया, अब चलता हूँ…

देश हमारा जकड़ रहा, भृष्ट लोगों के जाल में
CBI, JPC, PAC, CAG जैसे, शब्दों के जंजाल में
सायना, गगन, सचिन, लक्ष्मन ने, धवल उजाला फैलाया है
पर कोहरा भृष्टाचार का, सम्पूर्ण देश पर छाया है

… पर चिन्ता क्यों करते हो !!!

वो देखो .. आला रे आला .. 2011 आला ..
लेकर अपने संग खुशियों का काफ़िला

आशाओं के गीत हैं, कर्णप्रिय संगीत हैं
हथकड़ियाँ हैं पापियों के लिये, चेतावनी है आतंकियों के लिये

Promotion और Incentives की, जोर-शोर से बारिश है

Cricket World Cup जीतेंगे, कुछ ऐसी अपनी ख्वाहिश है

ट्रक ही ट्रक भरकर, सब्ज़ी, फल और प्याज़ हैं
Sensex फिर से 21000 पहुंचे, ऐसा कुछ आगाज़ है
“ भारत जागो” अब बस यही सबकी आवाज़ है

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