Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हरियाली ये गोद धरा की.....

 

हरियाली ये गोद धरा की,

सबके मन को भाती है;

भीनी भीनी खूशबू से,

दिल को सहलाती है.

हरियाली ये गोद धरा की.....

 


सुबह सवेरे सूरज की किरणे,

जब धरती पर आती है;

पत्तो पर बूँद ओश की,

सोने सी चमक जाती है.

हरियाली ये गोद धरा की.....

 


मंद पवन के ठंडे झोके,

पत्तो को सहलाती है;

सुबह सवेरे फूलो का खिलना,

मन में नयी उमंग लाती है.

हरियाली ये गोद धरा की.....

 


चु चु करती नन्नी चिड़िया,

दिल में संगीत बजाती है;

झरनों सी बारिश की बूंदे,

एक नया जोश लाती है.

हरियाली ये गोद धरा की.....

 


नन्ने नन्ने गिरते बच्चो को,

चलना ये सिखाती है;

हरियाले आँचल में लेकर, सबको

माँ सा दुलार दिखती है.

हरियाली ये गोद धरा की.....

 

 

 

Name - Raj Kumar

 

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