आम आदमियों के बीच से बने नेता
आम आदमी का ही करते तिरस्कार है
लाल बत्तियों में घूमते मंत्रीगण
समझते आम आदमी को दास है
मंत्रीगण बन गए है राजा-महाराजा
लोकतंत्र को समझते राजतंत्र है
छब्बीस जनवरी को जो लागू हुआ
कहां वो आज देश का गणतंत्र है
समानता दर्ज है फकत संविधान के पन्नो में
मंत्री बन गए मालिक आम आदमी दास है
पानी देने के वजाए मुतने की बात करते मंत्री
सून कर ऐसा अनर्गल प्रलाप हमारा लोकतंत्र उदास है !
राजीव आनंद
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