Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तमन्ना है सारे गम ले लूं तुम्हारे

 

तमन्ना है सारे गम ले लूं तुम्हारे
आंसू मेरे आंखों से बहे तुम्हारे


क्यों न मेरे पांव लहुलूहान हो जाए
कांटे सारे हटा दूं राह से तुम्हारे


अपनी भाग्य की लकीरे दे दूं
नर्म-नर्म हथेलियों को तुम्हारे

 

 

 

राजीव आनंद

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