दूंढ़ रहा हूँ अपनी राधा,कहाँ हैं तू... मुझको बुला ले ना वहाँ,जहाँ है तू !! मैं किसकी तन्हाई में पागल हुआ हूँ देखता हूँ जिधर भी मैं,वहाँ है तू !! हाय रब्बा मुझको तू नज़र ना आए जर्रे-जर्रे में तो है,पर कहाँ है तू !! मैं जिसकी धून में खोया रहता हूँ मुझमें गोया तू ही है,निहां है तू !! "गाफिल"काहे गुमसुम-सा रहता है मैं तुझमें ही हूँ,मुझमें ही छुपा है तू !!
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