Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ख्वाब कोई आग ही बन जाए कहीं....!

 
ख्वाब कोई आग ही बन जाए कहीं....!! 
ख्वाब को ख्वाब ही बना रहने दो..... ख्वाब कोई आग ना बन जाए कहीं !! आग के जलते ही तुम बुझा दो इसे सब कुछ ही ख़ाक ना हो जाए कहीं !! अपने मन को कहीं संभाल कर रख तेरे दामन में दाग ना हो जाए कहीं !! तेरी जानिब इसलिए मैं नहीं आता !! मेरी नज़रें तुझमें ही खो जाए ना कहीं !! खामोशी से इक ग़ज़ल कह गया"गाफिल" इसके मतलब कुछ और हो जाए ना कहीं !!
 

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