Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तेरे शहर की हवायें

 
तेरे शहर की हवा बड़ी सर्द थी उस पर तेरा ख़य्याल
तेरे ख़य्याल से  मेरा दिल बेताब सा पर कुछ मलाल

तुझे सीने से लगाने का सबब उफ्फ तेरी गर्म साँसे
क्या ख्वाहिशें थी कि उफ्फ रूह का खो गया होश

तेरी चाहत या तेरी तलब किस्मत में ना  कहीं मिली
तलब बे-सबब हाथ दुआ में उठाकर सुकून ना मिली

आधी रात में जो बात थी चाँद भी पूरे शबाब पर था
तुझसे  जुदा चैन ना मुझे  ना ही चाँद दिल बेताब था

उस सर्द हवाएँ सुरमई शाम की  कुछ जुदा जुदा  सी थी
मेरे सिहरती जिस्म की सिहरन तेरे जिस्म की कसक थी

छेड़ कर गुजर जाती थी वो तेरे शहर की सर्द हवाएँ
ना जाने कितनी देर तक खामोशी थी दिल-ए-समंदर

सोनू ऐसे सर्द फिजाओं में कोई चिराग जला ना आतिशदान
तेरे इश्क़ की गर्म जर्द अगन से जिंदा रहा ऐ दिल-ए-नादान

फिजाँ में हवा भी खफा खफा दिल रहा जवां जवां 
सर्द हवाओं  में भी  गर्म था तेरी मेरी दास्ताँ ऐ शमां

राजेन्द्र कुमार पाण्डेय " राज "
प्राचार्य
सरस्वती शिशु मंदिर 
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
बागबाहरा
जिला-महासमुन्द ( छत्तीसगढ़ )
पिन कोड -493449

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