ये मोहब्बत की दुनिया.....
सोनू रब से मुझे कुछ भी नहीं बस तेरी मोहब्बत चाहिए
मेरे बुझे हुए दिल में तुमने मोहब्बत के दीप को जलाया
भावनाओं को भरकर अपनी मोहब्बत का जादू चलाया
मोहब्बत में मैंने सब हारना चाहा मगर सब कुछ है पाया
तुम मोहब्बत की दरिया हो मोहब्बत की प्यास बुझाओ
मोहब्बत की पावन धारा बनकर मोहब्बत का आशियाँ दो
निराकार ब्रह्म की जैसी रूप मोहब्बत का साकार रूप दो
मोहब्बत कैसा है ये नहीं जानता मेरे जीवन की तकदीर हो
मैं अनजाना सफर का राही बन जाओ तुम मेरे हमसफ़र हो
नफरतों के इस जहां में बस तुम मोहब्बत की देवी हो
कंटकमय जीवन के पथ में मोहब्बत के फूल बिछा दूँ
जीवन से सारे दुःख हर कर लूं हमदर्द की दवा बना दूँ
मोहब्बत के आकर्षण में बहोत हैं आ सच्ची मोहब्बत दूँ
रंग हीन जीवन पथ में मोहब्बत की दुनिया बनाएं
बिछड़े हुए हम खुद से आ मोहब्बत की बारिश बन जाएं
वादा है तुमसे मेरा राहें जो भी हो मंजिल एक ही बनाएं
काल्पनिक मोह्हबत की रब में हम हकीकत बन जाएं
ऐ जान-ए-तमन्ना डर का बन्धन तोड़ एक बन जाएं
तोड़कर सारे नफ़रतें हम मोहब्बत की दुनिया बसाए
राजेन्द्र कुमार पाण्डेय " राज "
प्राचार्य
सरस्वती शिशु मंदिर
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
बागबाहरा
जिला-महासमुन्द ( छत्तीसगढ़ )
पिन कोड -493449
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY