प्रकृति के आगोश में.....
सूर्य जब जब भी निकलता है
धरा पर बिखरती सुवर्ण किरणें
ओस की बूंदे जब चमकती है
सोनू ! मुझे तेरी ही याद आती है
बागों में फूलों की कतारों में
उन फूलों में खुशब का डेरा है
जब जब कोई फूलों पे मंडराया
सोनू ! मुझे तेरी ही याद आती है
सागर की अनन्त गहराइयों में
शांत लहरें जब-जब हिलोर लेती है
शोर करती हुई उच्छवास लहरें
जब भी वो चट्टानों से टकराती है
सोनू! मुझे तेरी ही याद आती है
शीतल सी धारा बहे जब पुरवाई
सुवासित करती वो वातावरण को
चंदन सी महक उठता रोम रोम
झोंका हवा का मुझसे टकराती है
सोनू ! मुझे तेरी ही याद आती है
सघन वनों से आच्छादित धरती
मानो वो आसमानों से बातें करती
दूर तलक बिखरी बिखरी डालियां
जब भी टूटकर कोई पता गिरता है
सोनू! मुझे तेरी ही याद आती है
शांत चुपके चुपके से बैठा है वो चाँद
प्यार से भरे हुए प्रकृति के आगोश में
शीत ज्योत्स्ना बिखेरती रही आसमां
टूटता हुआ कोई तारा जब दिख जाए
ऐसे सोनू ! मुझे तेरी ही याद आती है
सांझ ढले दूर तक बिखरे सन्नाटे में
सूखे पतों की खड़कने की आवाज
कानों विरह के गीत सुनाई देती है
सोनू! मुझे तुम्हारी ही याद आती है
* * * * * * * * * *
राजेन्द्र कुमार पाण्डेय " राज "
प्राचार्य
सरस्वती शिशु मंदिर
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
बागबाहरा
जिला-महासमुन्द ( छत्तीसगढ़ )
पिन कोड -493449
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