Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

कुछ भी न रहा

 

======
कुछ भी न रहा ।
दिल ने ये कहा।।

 

जब चोट लगी
इस दिल ने सहा।।

 

हम पूछा किये
न बतायी खता।।

 

कब की थी खता
न हमे है पता।।

 

जाने क्यों ही गयी
वो हमसे ख़फ़ा।।
===========

 

 

राजेन्द्र प्रकाश वर्मा

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ