देश के दीवाने .........
जमाने में मिलते हैं दीवाने कई
मगर भगतसिंह जैसा कोई नही होगा
भोग विलास में डूब मरे कई शासक
तिरंगे को कफ़न बनाने वाला भगतसिंह वो वीर था
सिंह जैसे अदम्य साहस से भरे हुए
उनके रोम रोम से भारत माता की जय गान गूंजे
अंतिम सांस तक देश का गौरव गान किया वो
जिंदगी से कभी मोक्ष की लालसा नहीं की
बस तिरंगे से लिपट कर जाने का अरमान था
सिर्फ और सिर्फ वतन के लिए सोचता था वो
जिंदगी में भारत माता के कदम चूमता था वो
देशभक्ति रस से सराबोर दीवाना था वो
जीता था देश के लिए मर गए वतन के लिए वो
अंजाम की कभी फिक्र नही की दीवाने ने
जिंदगी में बस आगाज की बातें करता था वो
वतन परस्ती के मिसाल बनकर इंकलाब लाया था वो
बसंती चोला पहनकर विदा हुआ वो मस्ताना था वो
ना तन की चिंता ना धन का परवाह करता था वो
लहू का एक एक कतरा वतन के लिए दिया था वो
जिंदगी में बहुत कुछ कर गया वतन के खातिर वो
मरने के बाद भी इंकलाब का सैलाब लाया था वो
अपने फौलादी सीने में देश भक्ति का जुनून रखता वो
आंखों में देशभक्ति की चमक रहती थी उसके
साँसे भी थम जाती थी दुश्मनों की
अपनी आवाज में उतना ताकत रखता था वो
फांसी की फंदे को चूमकर झूल गया वो
हँसते हँसते कुर्बानी दी वतन पे अपनी जवानी को
वतन के खातिर जान देना फकत वतन की मोहब्बत थी
सिंह था वो अपने खून लिख गया कहानी वतन की
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राजेन्द्र कुमार पाण्डेय " राज "
प्राचार्य
सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
बागबाहरा
जिला-महासमुन्द ( छत्तीसगढ़ )
पिनकोड-496499
घोषणा पत्र-मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह कविता सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित व मौलिक है।
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