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ऐ हवाएँ!
कभी तो आ कर मेरे दर से गुजर
देख कभी आकर वो खूबसूरत पल
कितनी महकी हुई यादें संजोए हैं
संग संग मेरे कुछ प ल तो गुजार
खुशियाँ नसीब होगी उम्र-ए-तमाम
ऐ फिजाएँ!
कभी लौटकर तो आओ
अपना रुख मोड़कर देखो
कितने फूल सजा रखे हैं
किताबों में कभी सिरहाने में
यादों के दरमियां उम्र-ए-तमाम हो जाए
ऐ चाँद!
कभी हमारी ओर निगहबान हो
बेहिसाब दर्द समाए हुए दिल में
कभी इतनी तो नेमत बख़्श दे दो
रूह-ए-दर्द फना उम्र-ए-तमाम हो जाए
ऐ रोशन-ए-चिराग
मेरे मका को रोशनी से भर दे
जिंदगी के अंधेरे में कई ख्वाब जले हैं
रहम कर ए खुदा कर उजाला से
मेरे रब-ए-महबूबा के जहां को
रूबरू-ए-ख्वाब रोशन उम्र-ए-तमाम हो जाए
ऐ सोनू!
जरा ठहर जाओ कुछ लम्हों के लिए
अक्सर ख्वाबों में ही मिलती हो
तन्हाइयों मैं भी आ जाओ कभी
हमसाया बन हमनशीं बन जाओ
मेरी तन्हाईयाँ दूर उम्र-ए-तमाम हो जाए
राजेन्द्र कुमार पाण्डेय " राज "
प्राचार्य
सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
बागबाहरा
जिला-महासमुन्द ( छत्तीसगढ़ )
पिन- 496449
मोबाइल नम्बर- 79744-09591
घोषणा पत्र- मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह कविता सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित व मौलिक है।
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