इक तेरे सिवा कोई नहीं.....
ये हवाएँ जाने किसके साथ आई है
आज गुल-ए-गुलशन में बहार छाई है
कोई गीत नहीं संगीत नहीं ना साज है
ऐ सनम इक तेरे सिवा यहां कोई नही है
हमने दुनिया की हर शय को परखा
हमसफ़र जैसी कोई हसीन नही देखा
उनकी हर शोखअदाओं पे हम फिदा
उनकेआने से रौनक हो गई महफ़िल में
तेरे हुश्न की क्या तारीफ ऐ दिलरुबा
ये फूल भी फिदा हैं तेरे रुख़सारों पर
तेरी मुस्कान ही कॉफी जीने के लिए
शहर कातिल निकला तब्बसुम के लिए
मजा नही जीने में हमसफ़र के सिवा
रास्ते सारे बन्द मिले तेरे कूचे के सिवा
कोई काम नाआया एक तेरे सिवा मेरा
मेरी मंजिल नहीं मेरे हमसफ़र के सिवा
गीत संगीत साज भी संवरने लगते हैं
तेरे होने से आशियाँ भी सजने लगते हैं
बज उठते हैं सितार मेरे दिल के तुमसे
सफर सुहाना नही है हमसफ़र के बिना
आ तुझे लेकर चलूँ कभी आसमान पे
सजाऊँ तुझे सितारों की महफ़िल में
ऐ मेरे हमसफ़र साथ तेरा छूटा गर मेरे
सो जाऊंगा फिर मैं मौत की आगोश में
तनुश्री मिश्रा 'तान्या'
बिलासपुर,छत्तीसगढ़
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