Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हंसीदार दोहे

 

 

बुढि‌या साठ साल की, करती सौ श्रंगार।
निकल गयी अब पैठ में बूढे‌ खायें पछार॥

 

 

जोड़-तोड़ कुछ भी करो बढ़ते जाओ यार।
राजनीति में जायज है, गठबंधन सरकार॥

 

 

रोज सिनेमा जाईये, साली गले लगाये।
पत्नी पीछे अब चले, दो आंसू टपकाये॥

 

 

दफ्तर इन्कम टेक्स के, अध्यापक अब जाये।
कुर्ता पज्जमा फाड़कर, हाल बेहाल बनाये।।

 

 

बोतल पीकर झूमते, अब घर कू हम जाये।
उतर जायेगा सब नशा, बेलन देय सरकाये॥

 

 

पत्नी बेलन मारकर, करे कमर पर चोट।
थाने में कर देखिये, नाहिं कोई रपोट॥

 

 

शायर गजल सुनायके, सब कू करता बोर।
हमको देखो मिल गया, वंशमोर घनघोर॥

 

 

 

RAJESH GOEL

 

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