पेशे ख़िदमत है एक नयी ग़ज़ल का मतला और दो शेर...
इक अधूरी सी कहानी जैसे मेरी ज़िंदगी,
सूखे दरिया में रवानी जैसे मेरी ज़िंदगी।
टूटकर बिखरे पड़े हैं ख़्वाब सारे इस तरह,
क़ाफ़िले में सच बयानी जैसे मेरी ज़िंदगी।
लड़ रहे हैं जह्नों दिल आपस में देखो इस तरह,
दुश्मनी हो ख़ानदानी जैसे मेरी ज़िंदगी।
राज जौनपुरी ...
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