माता-पिता
जिन्हे अलार्म नहीं, ज़िम्मेदारियाँ जगाएं ,
जो कठिन परिस्तिथियों से जूझकरआजीविका कमाएं,
जो अपने हाथों से पकड़कर बचपन में चलना सिखाएं,
अपने पास बिठाकर जो खाना खाने का सलीका बतलायें,
जो समाज में रहना , जीना और संघर्ष करना सिखलायें,
जो अपनी औलाद को खुद से भी सफल और प्रसन्न देखना चाहें,
जो सबसे अच्छे मित्र और मार्गदर्शक कहलाएं,
जो नारियल की तरह बहार से कठोर और भीतर से नरम बन जाएँ,
रातों को जागकर, हमें चैन की नींद सुलाएं,
जो दुःख परेशानियों को मन में दबाकर , अपने बच्चों के सामने मुस्कुराएं,
जो अपने समस्त सुख और सपने हम पर न्योछावर कर जाएँ,
वो देव-तुल्य इंसान इस जगत में माता- पिता कहलाएं,
आओ हम अपने माता-पिता की सेवा कर अपना जीवन सफल बनायें
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