Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तेरे इंतज़ार में

 

तेरे इंतज़ार में तकते रहे
राह हम अपनी गली की
अब भी हम गमगीन नही
रखते हैं उम्मीद हम अब भी
रात के अंधेरे में जरुर आओगी
हक़ीक़त मे न सही कोई बात नही
इंतज़ार करेंगे हम तेरा आज ख़्वाबों मे
शर्म आती होगी शायद दुनिया केसामने
ख़्वाबों में चले आने मे रुकावट नही होगी।

 

 

 

Rajesh Singh

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